बोलो सियावर राम चंद्र की ! जय

श्रीगुरु चरन सरोज रज  निज मनु मुकुरु सुधारि ।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु  जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ।  जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।।

राम दूत अतुलित बल धामा ।  अंजनी पुत्र पवनसुत नामा ।।

महावीर विक्रम बजरंगी ।  कुमति निवार सुमति के संगी।।

कंचन बरन विराज सुबेसा ।  कानन कुंडल कुंचित केसा ।।

हाथ बज्र ओ ध्वजा बिराजे ।  कंधे मूंज जनेऊ साजे।।