नीम का नाम तो सुना ही होगा नीम का प्राचीन काल से ही औषधि के रूप प्रयोग किया जाता है। नींद एक बहुत ही गुणकारी पौधा है इसका पौधा लगाने मात्र से ही हजारों बीमारियों से आप दूर रहते हैं क्योंकि यहां कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके ऑक्सीजन को शुद्ध करता है आज हम नीम के 10 फायदे के बारे में बताएंगे।
नीम का हम लोग प्रतिदिन दांतो को साफ करने में दातुन के रूप में प्रयोग में लाते हैं इसका प्रयोग करने से दांतों में कीड़े नहीं लगते हैं प्राचीन काल में इसका सभी लोग प्रयोग करते थे अब तो तरह-तरह के मार्केट में मंजन और ब्रश आ गए हैं जिससे अब नीम की दातुन बहुत कम करते हैं लेकिन यह बहुत ही गुणकारी है इसके गुणों को जानकर आपको फिर से दातुन करना शुरू कर देंगे तो बने रहे हमारी पोस्ट में और जानिए कि नीम किस प्रकार से हमारे जीवन गुणकारी साबित हो सकता है।
नीम का प्रतिदिन 5 से 10 पत्ती का सेवन करने से शरीर स्वस्थ रहता है। नीम की पत्ती का सेवन मात्र करने से शरीर की त्वचा के सभी रोग समाप्त हो जाते हैं और साथ ही पेट के कीड़े व पेट की अन्य समस्याएं भी समाप्त हो जाती हैं। नीम दोस्तों बहुत ही गुणकारी होता है इसके गुणों को अपनी जुबान से बता पाना बहुत ही मुश्किल है। इसका केवल औषधि के रूप में ही नहीं बल्कि और भी अन्य चीजों में उपयोग किया जाता है।
नीम क्या है?
नीम एक बहुत ही गुणकारी पौधा है इसका प्रयोग अनेक बीमारियों की औषधि के रूप में किया जाता है नीम का पेड़ 40 से 100 फीट तक ऊंचा होता है इसके पेड़ सभी जगह पर पाए जाते हैं तथा सड़कों के किनारे व गांव और खेत वा जंगलों में भी पाए जाते हैं।
नीम का पौधा देखने में तो एक साधारण सा पौधा होता है लेकिन इसके गुणों को जानकर आप हैरान हो जाएंगे इसके जड़ पत्ती फल फूल बीज तथा तना सभी बहुत ही गुणकारी होते हैं इन सभी का किसी ना किसी औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
नीम विभिन्न भाषाओं में नाम | neem name in different languages
नीम का विभिन्न भाषाओं में नाम कुछ इस प्रकार है इसको अलग-अलग देश और प्रांतों में अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है-
हिंदी में (Hindi Main) – नीम (Neem)।
अंग्रेजी में (English Main) – मरगोसा (Margosa)।
संस्कृत में (Sanskrut Main) – अरिष्ट (Arisht)।
पंजाबी में (Panjabi Main) – नीम (Neem)।
बंगाली में (Bangali Main) – नीमबिया (Neembiya)।
अरबी में (Arbi Main) – आजाद दरख्तुल हिंद (Ajad darkhtul hind)।
फारसी में (Farsi Main) – आजाद दरख्ते हिंद (Ajad darkhte hind)।
गुजराती में (Gujarati Main) – नीम (Neem)।
मराठी में (Marathi Main) – कडुनिंब (Kadonimb)।
नीम में पाए जाने वाले रसायनिक तत्व
वैज्ञानिकों ने नीम के विभिन्न हिस्सों से भिन्न-भिन्न प्रकार के लिमोनायड प्राप्त किये हैं, जिनके गुण व कार्यशैली भिन्न-भिन्न होती है। यही कारण है कि लगभग 200 कीट जातियों पर नीम असर होता है।
नीम की छाल से निम्बीन, निम्बोनीन, निम्बीडीन, एक उडनशील तेल, टैनिन और मार्नोसेन नामक एक तिक्त घटक होता है। नीम एक जैव रासायनिक तत्व प्राप्त होता है जिसे लिमोनायड कहते है।
नीम के औषधीय गुण | Medicinal properties of neem
नीम का उपयोग औषधि के रूप में इन बीमारियों पर किया जाता है इसके साथ ही हम यह भी आपको बताएंगे कि आप किस प्रकार और किस मात्रा में इसका इस्तेमाल करें तो इन बीमारियों को नष्ट कर सकते हैं।
सिर दर्द में, बालों के रोग में, चर्म रोग में, दांतों के रोग में, नेत्र रोग में, आंखों के रोग में, पेट दर्द में, कर्ण शूल में, हैजा में, मलेरिया में, बवासीर में, इत्यादि रोगों में नीम का अवसर के रूप में प्रयोग किया जाता है।
नीम के 10 फायदे | Neem Ke Ten Fayde in hindi
-नीम का प्रयोग करने से दांत स्वस्थ रहते हैं।
-आंखों को स्वस्थ बनाए रखने में नीम बहुत ही फायदेमंद है।
-नीम का प्रयोग करके आप बवासीर को भी समाप्त कर सकते हैं।
-सिर दर्द में नीम औषधि का काम करती है।
-नीम का प्रयोग करके अपने कानों को भी स्वस्थ रख सकते हैं।
-पेट दर्द में नीम की पत्ती का औसत के रूप में प्रयोग किया जाता है।
-पीलिया रोग को जड़ से समाप्त करने में नीम का प्रयोग करें।
-उल्टी यों को समाप्त करने में नीम का प्रयोग किया जाता है।
-प्रदर रोग में नीम का प्रयोग के रूप में किया जाता है।
-पथरी रोग में नीम का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
-मूत्र रोग में नीम का औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है।
आइए आप जानते हैं कि इन सभी बीमारियों में नीम का किस प्रकार से प्रयोग करना लाभकारी होता है और इसके लिए हमें किस प्रकार से इस औषधि को बनाकर तैयार करना है। तो आइए जानते हैं नीम के 10 फायदे और नुकसान जानने के लिए बने रहे मेरी पोस्ट में जानकारी अच्छी लगे तो दोस्तों में शेयर करना ना भूले।
दांतों के रोग में नीम के फायदे
-दातों के रोगों को दूर करने के लिए नीम की दातुन करना चाहिए नीम की दातुन करने से दांतों के रोगों में लाभ मिलता है।
-नीम की जड़ की छाल का चूर्ण 50 ग्राम गेरू 50 ग्राम सेंधा नमक 10 ग्राम तीनों को एक साथ खूब मिलाकर फिर नीम के पत्तों के रस को मिलाकर एक शीशी में भरकर सुरक्षित रख लें इस मंजन को प्रतिदिन सुबह-शाम दांतों में करने से मुख की दुर्गंध और जी मिचलाना आदि रोग दूर हो जाते हैं।
-100 ग्राम को कूटकर आधा किलो पानी में पकाकर काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से दांतो के सभी प्रकार के रोग समाप्त हो जाते हैं।
नेत्र रोग में नीम के फायदे
-नेत्रों के दर्द में नीम की पत्ती का रस कानों में दो-दो बूंद डालने से दोनों आंखों का दर्द समाप्त हो जाता है।
-नीम के पत्ते और लोध्र दोनों का समान मात्रा में चूर्ण लेकर पोटली में बांधकर जल में भिगोकर रात्रि में रख दे तथा सुबह उठकर इस जल से आंखों को धुलने से नेत्र के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं।
-आंखों में दर्द खुजली और दाने होने पर नीम के पत्ते तथा शार्ट को पीसकर सेंधा नमक मिलाकर हल्का सा गर्म करके रात के समय 1 वस्त्र की पट्टी पर रखकर आंखों पर बांधने से 2 से 3 दिन में ही मित्र रोग दूर हो जाते हैं प्रयोग काल में ठंडे पानी व ठंडी हवा से मित्रों को बचाना है।
-आंखों में खुजली के साथ जलन होने पर 500 ग्राम नीम के पत्तों को की बस में बना कर 100 ग्राम नींबू के रस में मिलाकर सुखा लें। फिर इस अंजन को आंखों में लगाने से नेत्र के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं।
-500 ग्राम नीम के पत्तों को जल के साथ महीना पीसकर टिकिया बनाकर सरसों के तेल में पका लें जब वह जलकर काली हो जाए तब उससे उसी तेल में घोटकर उसके दसवां भाग कपूर तथा दसवां हिस्सा कलमी शोरा मिलाकर खूब घोटकर कांच की शीशी में भरकर रख लें। इसे रात्रि के समय आंखों में अंजन के समान लगाने से आंखों की लालिमा, जलन, धुंधला दिखाई देना आदि रोग दूर हो जाते हैं तथा आंखों की रोशनी बढ़ती है।
-10 ग्राम सा फ्रूट को फैला कर उस पर 20 नीम के सूखे पत्ते बिछाकर 1 ग्राम कपूर का चूर्ण छिड़ककर यूको लपेटकर बत्ती बनाकर किस व्यक्ति को 10 ग्राम गाय के घी में भिगोकर काजल बना ले काजल रात्रि में आंखों में लगाने से आंखों की समस्त प्रकार के रोग मिट जाते हैं।
-नीम की कोपलें 20 नग, जस्ता का भस्म 20 ग्राम, लौंग 5 ग्राम, छोटी इलायची 5 ग्राम और 20 ग्राम मिश्री इन सब को एकत्रित करके महीन पीसकर छानकर शूरमा बना ले। सुबह शाम सलाई से आंखों में लगाने से आंखों का जाला, धुंधला दिखाई देना समाप्त हो जाता है।
बवासीर में नीम के फायदे
-50 ग्राम नीम के तेल कच्ची फिटकरी 3 ग्राम, सुहागत 3 ग्राम इन तीनों को लेकर खूब महीन पीसकर आपस में मिला ले, शौच क्रिया के बाद उंगली से गुदाद्वार के भीतर लगाने से गुदाद्वार के मस्से समाप्त हो जाते हैं।
-नीम के बीजों की गिरी 100 ग्राम और नीम के वृक्ष की जड़ की छाल 200 ग्राम दोनों को पेश करे के ग्राम की गोलियां बनाकर दिन में तीन से चार बार 1 सप्ताह तक सेवन करने से बवासीर के मस्से समाप्त हो जाते हैं।
-नीम की पत्ती का काढ़ा बनाकर गुदाद्वार को धुलने से बवासीर के मस्से समाप्त हो जाते हैं।
-नीम की गिरी का तेल दो से पांच बूंद की मात्रा में चीनी के साथ सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलता है तथा इस प्रयोग काल में दूध और चावल का ही सेवन करना चाहिए।
-नीम के बीजों की गिरी अलुवा और समान भाग में लेकर एक साथ पीसकर मटर के समान गोलियां बनाकर एक एक गोली जल के साथ सेवन करने से बवासीर में बहुत ही लाभ मिलता है।
-नीम के बीजों को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बनाकर बासी जल के साथ सेवन करने से बवासीर के रोग में लाभ मिलता है। इस औषधि के प्रयोग काल में घी का प्रयोग अवश्य करें अन्यथा नेत्र ज्योति जा सकती है।
सिर दर्द में नीम के फायदे
-नीम के तेल से सिर में मालिश करने से गर्मियों के समय में सिर में होने वाला दर्द दूर हो जाता है।
-आधा सिर दर्द होने पर नीम के सूखे पत्ते, काली मिर्च और चावल समान मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बनाकर सूर्योदय से पूर्व जिस तरफ सिर दर्द हो रहा हो उसी तरफ नाक में 125 मिलीग्राम नस्य से लेने से पुराने से पुराना आधा सिर दर्द भी समाप्त हो जाता है।
कान रोग में नीम के फायदे
-नीम के चूर्ण में समान भाग शहद मिलाकर कान को अच्छी वकार से साफ करके देखो मिल पाता कल शाम के समय डालने से 1 से 2 महीने में लाभ मिलता है।
-नीम के पत्तों का रस 40 ग्राम तथा 40 ग्राम तिल के तेल में पकाकर तेल से इस मात्रा में रह जाने पर छानकर सुरक्षित रखना फिर इस तेल के दो से तीन बूंद कान में डालने से कानों के सभी रोग में लाभ होता है।
-नीम तेल 40 ग्राम, मॉम 5 ग्राम, आग में पकाकर जब मोम गल जाए उसमें फुलाए हुए फिटकरी 750 मिलीग्राम भली-भांति मिलाकर शीशी में भरकर सुरक्षित रख ले। कान को साफ करके दो से तीन बूंद दिन में दो बार डालने से कान का बहना बंद हो जाता है।
-नीम के तेल में शहद मिलाकर उसमें रुई भिगोकर कान में रखने से काम बहना बंद हो जाता है।
पेट दर्द में नीम के फायदे
नीम के मोटे वृक्ष के तने की अंतर छाल को 50 ग्राम की मात्रा में लेकर कूटकर 400ml जल में पकाकर इसमें 10 ग्राम नमक डालकर जब जल आधा शेष रह जाए गरम-गरम छानकर सेवन करने से पेट दर्द समाप्त हो जाता है।
पीलिया रोग में नीम के फायदे
-नीम की सींक 5 ग्राम की मात्रा में लेकर और स्वस्थ पुनर्नवा की जड़ 5 ग्राम दोनों को जल में पीसकर 1 सप्ताह तक सेवन करने से लाभ मिलता है।
-नीम पत्र, गिलोय के पत्र, गूमा पत्र, और छोटी हरड़ इन सभी को 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर कूटकर 200 ग्राम जल में पकाकर जब पानी 50 ग्राम की मात्रा में शेष रह जाए फिर इसमें 10 ग्राम गुड़ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
-मिट्टी खाने से उत्पन्न पीलिया रोग को नष्ट तथा मिट्टी छुड़ाने के लिए मिट्टी में नीम के पत्तों का रस मिलाकर रोगी को खिलाने से लाभ मिलता है।
-नीम के पत्ते नीम की जड़ की छाल, फूल और फल सभी को समान मात्रा में सुखाकर महीन बारीक चूर्ण बनाकर 1 ग्राम की मात्रा में दिन में दो से तीन बार घी या शहद के साथ मिलाकर गोमूत्र या जल के साथ सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
-10 ग्राम नीम के पत्तों का रस 10 ग्राम अडूसा के पत्तों का रस तथा 10 ग्राम शहद मिलाकर नियमित रूप से सेवन करने से पीलिया रोग नष्ट हो जाता है।
-नीम के पत्तों का रस 200 ग्राम में थोड़ी सी शक्कर मिलाकर थोड़ी मात्रा में सेवन करने से 3 दिन में ही पीलिया रोग नष्ट हो जाता है।
-नीम के पांच कोमल पत्तों को पीसकर शहद मिलाकर सेवन करने से पीलिया रोग तथा मूत्र विकार और पेट रोग में लाभ मिलता है।
-10 ग्राम नीम के पत्तों का रस तथा 10 ग्राम शहद मिलाकर दिन में 4 से 5 बार सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
-100 ग्राम नीम के पत्तों का रस तथा 3 ग्राम सोंठ का चूर्ण और 5 ग्राम शहद मिलाकर दिन में तीन बार प्रातः काल सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है, प्रयोग काल में तेल, शक्कर व गुड़ का परहेज रखें खाने में दही भात का सेवन करें।
उल्टियो में नीम के फायदे
नीम की 5 सींको को दो बड़ी इलायची और दो पांच कालीमिर्च के साथ महीन पीसकर 250 ग्राम जल के साथ सेवन करने से उल्टियां बंद हो जाती है।
-नीम की छाल 10 मिलीग्राम की मात्रा में लेकर रस निकालकर शहद मिलाकर सेवन करने से उल्टियां बंद हो जाती है।
-नीम के पत्ते 20 ग्राम अच्छी प्रकार से पीसकर 100 ग्राम जल में घोलकर छानकर 50 ग्राम की मात्रा में पीने से उल्टियां बंद हो जाती है।
-5 ग्राम नीम के पत्तों को पीसकर मटर के समान गोलियां बनाकर पानी या शहद के साथ सेवन करने से उल्टियां में लाभ मिलता है।
प्रदर रोग में नीम के फायदे
-नीम की छाल और बबूल की छाल बराबर मात्रा में लेकर दरदरा कूट कर काढ़ा बनाकर प्रातः काल और शाय काल सेवन करने से श्वेत प्रदर में लाभ मिलता है।
-रक्त प्रदर में 10 ग्राम नीम की छाल के साथ समान भाग में गिलोय को पीस कर दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से लाभ मिलता है।
पथरी रोग में नीम के फायदे
-नीम के पत्तों को 20 ग्राम की मात्रा में लेकर भस्म बनाकर कुछ दिनों तक जल के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से पथरी में लाभ मिलता है।
-120 ग्राम नीम के पत्तों को पीसकर 2 किलो पानी में उबालकर जब पानी 30 ग्राम की मात्रा में शेष रह जाए फिर इस पानी से बफारा देने से पथरी निकल जाती है।
-2 ग्राम नीम के पत्तों को 100 ग्राम जल में पीसकर छानकर एक से 2 महीने तक सुबह दोपहर शाम सेवन करने से पथरी निकल जाती है।
मूत्र रोग में नीम के फायदे
नीम के पत्तों का रस 25 ग्राम और नीम की सींक काढ़ा बनाकर सेवन करने से मूत्र रोग में लाभ मिलता है।
नीम खाने का सही समय
नीम की पत्ती को खाने का सबसे सही समय है सुबह खाली पेट सुबह खाली पेट नीम की पत्ती का सेवन करना चाहिए यह बहुत ही गुणकारी होता है। पूर्ण लाभ उठाने के लिए नीम की पत्ती का सुबह खाली पेट ही सेवन करना चाहिए।
नीम का सेवन विधि | neem ka Sevan vidhi
यदि आप किसी अन्य बीमारी का इलाज कर रहे हैं तो अपने चिकित्सा से सलाह अवश्य लें।
नीम का सेवन इस मात्रा में करना चाहिए।
नीम के चूर्ण को 2 – 5 ग्राम की मात्रा में।
नीम का काढ़ा 10 – 20ml. की मात्रा में।
नीम का रस 5 – 10ml. की मात्रा में।
नीम औषधि उपयोगी भाग | Neem ka aushadhi upyogi bhag
नीम के औषधि उपयोगी भाग हैं-
-नीम का फल
-नीम के पत्ते
-नीम के जड़
-नीम के तना
-नीम के बीज
-नीम का तेल
नीम के 10 फायदे और नुकसान | Neem Ke Ten Fayde aur nuksan
अब तक आपने जाने नीम के फायदों के बारे में आप जानते हैं कि यदि हम नीम का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं तो हमारे शरीर पर क्या नुकसान होता है और किन-किन लोगों को नीम का सेवन नहीं करना चाहिए तो आइए जानते-
नीम का प्रयोग करने से आप हजारों बीमारियों से दूर रहते हैं लेकिन यदि आप अधिक मात्रा में इसका सेवन करते हैं तो आपको सर्दी जुकाम की समस्या हो सकती है क्योंकि नीम ठंडी तासीर का होता है सर्दियों के मौसम में इसका प्रयोग कम मात्रा में करना चाहिए।
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